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औरत शायरी | शाही शायरी

औरत

43 शेर

शहर का तब्दील होना शाद रहना और उदास
रौनक़ें जितनी यहाँ हैं औरतों के दम से हैं

मुनीर नियाज़ी




औरत अपना आप बचाए तब भी मुजरिम होती है
औरत अपना आप गँवाए तब भी मुजरिम होती है

नीलमा सरवर




हुस्न के समझने को उम्र चाहिए जानाँ
दो घड़ी की चाहत में लड़कियाँ नहीं खुलतीं

परवीन शाकिर




हुस्न के समझने को उम्र चाहिए जानाँ
दो घड़ी की चाहत में लड़कियाँ नहीं खुलतीं

परवीन शाकिर




माना जीवन में औरत इक बार मोहब्बत करती है
लेकिन मुझ को ये तो बता दे क्या तू औरत ज़ात नहीं

क़तील शिफ़ाई




इक सहीफ़ा नया उतरा है सुना है लोगो
मारना दोस्त का भी जिस में रवा है लोगो

रज़िया फ़सीह अहमद




इक सहीफ़ा नया उतरा है सुना है लोगो
मारना दोस्त का भी जिस में रवा है लोगो

रज़िया फ़सीह अहमद