EN اردو
इक सहीफ़ा नया उतरा है सुना है लोगो | शाही शायरी
ek sahifa naya utra hai suna hai logo

ग़ज़ल

इक सहीफ़ा नया उतरा है सुना है लोगो

रज़िया फ़सीह अहमद

;

इक सहीफ़ा नया उतरा है सुना है लोगो
मारना दोस्त का भी जिस में रवा है लोगो

हम ने जो कुछ न क्या उस की सज़ा भी पाई
और वो जो भी करे सब ही रवा है लोगो

ज़ुल्म की हद है जहाँ ख़त्म वहाँ पर वो है
ढूँड लो उस को यही उस का पता है लोगो

दिल में इक शोला-ए-उम्मीद था सो सर्द हुआ
चाँद माथे का मिरे कब का बुझा है लोगो

जिस को तुम कहते हो ख़ुश-बख़्त सदा है मज़लूम
जीना हर दौर में औरत का ख़ता है लोगो

देखिए ज़ख़्म का क्या हाल हुआ है 'रज़िया'
आज तो दर्द मिरा हद से सिवा है लोगो