डरता हूँ आसमान से बिजली न गिर पड़े
सय्याद की निगाह सू-ए-आशियाँ नहीं
मोमिन ख़ाँ मोमिन
ज़मीन जब भी हुई कर्बला हमारे लिए
तो आसमान से उतरा ख़ुदा हमारे लिए
उबैदुल्लाह अलीम
रफ़ाक़तों का मिरी उस को ध्यान कितना था
ज़मीन ले ली मगर आसमान छोड़ गया
परवीन शाकिर
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जितनी बटनी थी बट चुकी ये ज़मीं
अब तो बस आसमान बाक़ी है
राजेश रेड्डी
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हम किसी को गवाह क्या करते
इस खुले आसमान के आगे
रसा चुग़ताई
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उट्ठी हैं मेरी ख़ाक से आफ़ात सब की सब
नाज़िल हुई न कोई बला आसमान से
शहज़ाद अहमद
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