EN اردو
2 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

2 लाइन शायरी

22761 शेर

ये ख़ून रंग-ए-चमन में बदल भी सकता है
ज़रा ठहर कि बदल जाएँगे ये मंज़र भी

अली अहमद जलीली




ऐ शाएर! तेरा दर्द बड़ा ऐ शाएर! तेरी सोच बड़ी
ऐ शाएर! तेरे सीने में इस जैसा लाख बहे दरिया

अली अकबर अब्बास




अपना आप नहीं है सब कुछ अपने आप से निकलो
बदबूएँ फैला देता है पानी का ठहराव

अली अकबर अब्बास




फ़रेब-ए-माह-ओ-अंजुम से निकल जाएँ तो अच्छा है
ज़रा सूरज ने करवट ली ये तारे डूब जाएँगे

अली अकबर अब्बास




इक सदा की सूरत हम इस हवा में ज़िंदा हैं
हम जो रौशनी होते हम पे भी झपटती रात

अली अकबर अब्बास




कभी सर पे चढ़े कभी सर से गुज़रे कभी पाँव आन गिरे दरिया
कभी मुझे बहा कर ले जाए कभी मुझ में आन बहे दरिया

अली अकबर अब्बास




मैं अपने वक़्त में अपनी रिदा में रहता हूँ
और अपने ख़्वाब की आब-ओ-हवा में रहता हूँ

अली अकबर अब्बास