आ गया ध्यान में मज़मूँ तिरी यकताई का
आज मतला हुआ मिस्रा मिरी तन्हाई का
सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम
आ गया ध्यान में मज़मूँ तिरी यकताई का
आज मतला हुआ मिस्रा मिरी तन्हाई का
सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम
अफ़्साना-ए-मजनूँ से नहीं कम मिरा क़िस्सा
इस बात को जाने दो कि मशहूर नहीं है
सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम
बंद महरम के वो खुलवातें हैं हम से बेशतर
आज-कल सोने की चिड़िया है हमारे हाथ में
सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम
बंद महरम के वो खुलवातें हैं हम से बेशतर
आज-कल सोने की चिड़िया है हमारे हाथ में
सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम
बरसों ढूँडा किए हम दैर-ओ-हरम में लेकिन
कहीं पाया न पता उस बुत-ए-हरजाई का
सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम
बे दिए ले उड़ा कबूतर ख़त
यूँ पहुँचता है ऊपर ऊपर ख़त
सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम