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2 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

2 लाइन शायरी

22761 शेर

आ गया ध्यान में मज़मूँ तिरी यकताई का
आज मतला हुआ मिस्रा मिरी तन्हाई का

सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम




आ गया ध्यान में मज़मूँ तिरी यकताई का
आज मतला हुआ मिस्रा मिरी तन्हाई का

सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम




अफ़्साना-ए-मजनूँ से नहीं कम मिरा क़िस्सा
इस बात को जाने दो कि मशहूर नहीं है

सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम




बंद महरम के वो खुलवातें हैं हम से बेशतर
आज-कल सोने की चिड़िया है हमारे हाथ में

सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम




बंद महरम के वो खुलवातें हैं हम से बेशतर
आज-कल सोने की चिड़िया है हमारे हाथ में

सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम




बरसों ढूँडा किए हम दैर-ओ-हरम में लेकिन
कहीं पाया न पता उस बुत-ए-हरजाई का

सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम




बे दिए ले उड़ा कबूतर ख़त
यूँ पहुँचता है ऊपर ऊपर ख़त

सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम