चाँद में दरवेश है जुगनू में जोगी
कौन है वो और किस को खोजता है
अहमद शनास
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एक बच्चा ज़ेहन से पैसा कमाने की मशीन
दूसरा कमज़ोर था सो यर्ग़माली हो गया
अहमद शनास
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ग़र्क़ करता है न देता है किनारा ही मुझे
उस ने मेरी ज़ात में कैसा समुंदर रख दिया
अहमद शनास
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जानकारी खेल लफ़्ज़ों का ज़बाँ का शोर है
जो बहुत कम जानता है वो यहाँ शह-ज़ोर है
अहमद शनास
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जिस्म भूका है तो है रूह भी प्यासी मेरी
काम ऐसा है कि दिन रात का कारिंदा हूँ
अहमद शनास
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कौन क़तरे में उठाता है तलातुम
और अंतर-आत्मा तक सींचता है
अहमद शनास
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ख़ुद को पाया था न खोया मैं ने
बे-कराँ ज़ात किनारा था मुझे
अहमद शनास
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