नज़र में उस की जो चढ़ता है सो जीता नहीं बचता
हमारा साँवला उस शहर के गोरों में काला है
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
नज़र में बंद करे है तू एक आलम को
फ़ुसूँ है सेहर है जादू है क्या है आँखों में
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
नौ-जवानों को देख कर 'हातिम'
याद अहद-ए-शबाब आवे है
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
नमक-ए-हुस्न का सुनता हूँ तिरे जूँ जूँ शोर
तूँ तूँ मिलने की मिरे दिल में हवस आती है
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
नमाज़ियों ने तुझ अबरू को देख मस्जिद में
ब-सम्त-ए-क़िबला सुजूद-ओ-क़याम भूल गए
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
मुल्क-ए-अदम से दहर के मातम-कदे के बीच
आया न कौन कौन कि रोना न रो गया
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
न कुछ सितम से तिरे आह आह करता हूँ
मैं अपने दिल की मदद गाह गाह करता हूँ
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
न मैं ने कुछ कहा तुझ से न तू ने मुझ से कुछ पूछा
यूँही दिन रात मिलते मुझ को तुझ को मेरी जाँ गुज़रा
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
मुझे तावीज़ लिख दो ख़ून-ए-आहू से कि ऐ स्यानो
तग़ाफ़ुल टोटका है और जादू है नज़र उस की
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम