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शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम शायरी | शाही शायरी

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम शेर

235 शेर

ज़ुल्फ़ों की नागनी तो तिरी हम ने केलियाँ
पर अबरुवाँ से बस नहीं चलता कि हैं पंकीत

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम