तुम से मिलती-जुलती मैं आवाज़ कहाँ से लाऊँगा
ताज-महल बन जाए अगर मुम्ताज़ कहाँ से लाऊँगा
साग़र आज़मी
उस के जज़्बात से यूँ खेल रहा हूँ 'साग़र'
जैसे पानी में कोई आग लगाना चाहे
साग़र आज़मी
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ये जो दीवार पे कुछ नक़्श हैं धुँदले धुँदले
उस ने लिख लिख के मेरा नाम मिटाया होगा
साग़र आज़मी
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