बादल आए हैं घिर गुलाल के लाल
कुछ किसी का नहीं किसी को ख़याल
रंगीन सआदत यार ख़ाँ
गर्म इन रोज़ों में कुछ इश्क़ का बाज़ार नहीं
बेचता दिल को हूँ मैं कोई ख़रीदार नहीं
रंगीन सआदत यार ख़ाँ
है ये दुनिया जा-ए-इबरत ख़ाक से इंसान की
बन गए कितने सुबू कितने ही पैमाने हुए
रंगीन सआदत यार ख़ाँ
झूटा कभी न झूटा होवे
झूटे के आगे सच्चा रोवे
रंगीन सआदत यार ख़ाँ
मनअ करते हो अबस यारो आज
उस के घर जाएँगे पर जाएँगे हम
रंगीन सआदत यार ख़ाँ
पा-बोस-ए-यार की हमें हसरत है ऐ नसीम
आहिस्ता आइओ तू हमारे मज़ार पर
रंगीन सआदत यार ख़ाँ
ता हश्र रहे ये दाग़ दिल का
या-रब न बुझे चराग़ दिल का
रंगीन सआदत यार ख़ाँ
था जहाँ मय-ख़ाना बरपा उस जगह मस्जिद बनी
टूट कर मस्जिद को फिर देखा तो बुत-ख़ाने हुए
रंगीन सआदत यार ख़ाँ
वो न आए तो तू ही चल 'रंगीं'
इस में क्या तेरी शान जाती है
रंगीन सआदत यार ख़ाँ