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नरेश कुमार शाद शायरी | शाही शायरी

नरेश कुमार शाद शेर

13 शेर

अल्लाह रे बे-ख़ुदी कि तिरे पास बैठ कर
तेरा ही इंतिज़ार किया है कभी कभी

o lord! There are times when such is my raptured state
even though I am with you, and yet for you I wait

नरेश कुमार शाद




अक़्ल से सिर्फ़ ज़ेहन रौशन था
इश्क़ ने दिल में रौशनी की है

नरेश कुमार शाद




गुनाहों से हमें रग़बत न थी मगर या रब
तिरी निगाह-ए-करम को भी मुँह दिखाना था

O Lord, I was not drawn to sinning all the time
how else could I confront your mercy so sublime

नरेश कुमार शाद




इतना भी ना-उमीद दिल-ए-कम-नज़र न हो
मुमकिन नहीं कि शाम-ए-अलम की सहर न हो

disheartened or shortsighted O heart you need not be
this night of sorrow surely will a dawn tomorrow see

नरेश कुमार शाद




ख़ुदा से क्या मोहब्बत कर सकेगा
जिसे नफ़रत है उस के आदमी से

नरेश कुमार शाद




ख़ुदा से लोग भी ख़ाइफ़ कभी थे
मगर लोगों से अब ख़ाइफ़ ख़ुदा है

नरेश कुमार शाद




किसी के जौर-ओ-सितम का तो इक बहाना था
हमारे दिल को बहर-हाल टूट जाना था

नरेश कुमार शाद




महफ़िल उन की साक़ी उन का
आँखें अपनी बाक़ी उन का

नरेश कुमार शाद




महसूस भी हो जाए तो होता नहीं बयाँ
नाज़ुक सा है जो फ़र्क़ गुनाह ओ सवाब में

नरेश कुमार शाद