तूफ़ान-ए-ग़म की तुंद हवाओं के बावजूद
इक शम-ए-आरज़ू है जो अब तक बुझी नहीं
नरेश कुमार शाद
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ये सोच कर भी हँस न सके हम शिकस्ता-दिल
यारान-ए-ग़म-गुसार का दिल टूट जाएगा
नरेश कुमार शाद
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ज़िंदगी नाम है जुदाई का
आप आए तो मुझ को याद आया
I was reminded when you came
that life and parting are the same
नरेश कुमार शाद
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ज़िंदगी से तो ख़ैर शिकवा था
मुद्दतों मौत ने भी तरसाया
नरेश कुमार शाद