जन्नत है उस बग़ैर जहन्नम से भी ज़ुबूँ
दोज़ख़ बहिश्त हैगी अगर यार साथ है
मीर असर
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दर्द-ए-दिल छोड़ जाइए सो कहाँ
अपनी बाहर तो यहाँ गुज़र ही नहीं
मीर असर
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बेवफ़ा कुछ नहीं तेरी तक़्सीर
मुझ को मेरी वफ़ा ही रास नहीं
मीर असर
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अपने नज़दीक दर्द-ए-दिल मैं कहा
तेरे नज़दीक क़िस्सा-ख़्वानी की
मीर असर
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अब तेरी दाद न फ़रियाद किया करता हूँ
रात दिन चुपके पड़ा याद किया करता हूँ
मीर असर
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