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हम हैं बे-दिल दिल अपने पास नहीं | शाही शायरी
hum hain be-dil dil apne pas nahin

ग़ज़ल

हम हैं बे-दिल दिल अपने पास नहीं

मीर असर

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हम हैं बे-दिल दिल अपने पास नहीं
आह इस का भी तुझ को पास नहीं

बेवफ़ा कुछ नहीं तिरी तक़्सीर
मुझ को मेरी वफ़ा ही रास नहीं

क़त्ल मेरा है तेरी बद-नामी
जान का वर्ना कुछ हिरास नहीं

तू ही बेहतर है हम से आईने
हम तो इतने भी रू-शनास नहीं

यूँ ख़ुदा की ख़ुदाई बर-हक़ है
पर 'असर' की हमें तो आस नहीं