हम हैं बे-दिल दिल अपने पास नहीं
आह इस का भी तुझ को पास नहीं
बेवफ़ा कुछ नहीं तिरी तक़्सीर
मुझ को मेरी वफ़ा ही रास नहीं
क़त्ल मेरा है तेरी बद-नामी
जान का वर्ना कुछ हिरास नहीं
तू ही बेहतर है हम से आईने
हम तो इतने भी रू-शनास नहीं
यूँ ख़ुदा की ख़ुदाई बर-हक़ है
पर 'असर' की हमें तो आस नहीं
ग़ज़ल
हम हैं बे-दिल दिल अपने पास नहीं
मीर असर