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ख़ुर्शीद तलब शायरी | शाही शायरी

ख़ुर्शीद तलब शेर

21 शेर

बहुत नुक़सान होता है
ज़ियादा होशियारी में

ख़ुर्शीद तलब




अज़ीज़ो आओ अब इक अल-विदाई जश्न कर लें
कि इस के ब'अद इक लम्बा सफ़र अफ़सोस का है

ख़ुर्शीद तलब




आज दरिया में अजब शोर अजब हलचल है
किस की कश्ती ने क़दम आब-ए-रवाँ पर रक्खा

ख़ुर्शीद तलब