बहुत नुक़सान होता है
ज़ियादा होशियारी में
ख़ुर्शीद तलब
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अज़ीज़ो आओ अब इक अल-विदाई जश्न कर लें
कि इस के ब'अद इक लम्बा सफ़र अफ़सोस का है
ख़ुर्शीद तलब
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आज दरिया में अजब शोर अजब हलचल है
किस की कश्ती ने क़दम आब-ए-रवाँ पर रक्खा
ख़ुर्शीद तलब
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