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ख़ालिद इक़बाल यासिर शायरी | शाही शायरी

ख़ालिद इक़बाल यासिर शेर

12 शेर

रहती है साथ साथ कोई ख़ुश-गवार याद
तुझ से बिछड़ के तेरी रिफ़ाक़त गई नहीं

ख़ालिद इक़बाल यासिर




यही बहुत है किसी तरह से भरम ही रह जाए पेश दुनिया
अगर मयस्सर नहीं है बादा ख़याल-ए-बादा भी कम नहीं है

ख़ालिद इक़बाल यासिर




ज़माने के दरबार में दस्त-बस्ता हुआ है
ये दिल उस पे माइल मगर रफ़्ता रफ़्ता हुआ है

ख़ालिद इक़बाल यासिर