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जमील मलिक शायरी | शाही शायरी

जमील मलिक शेर

16 शेर

मैं तो तन्हा था मगर तुझ को भी तन्हा देखा
अपनी तस्वीर के पीछे तिरा चेहरा देखा

जमील मलिक




पेड़ का दुख तो कोई पूछने वाला ही न था
अपनी ही आग में जलता हुआ साया देखा

जमील मलिक




सब को फूल और कलियाँ बाँटो हम को दो सूखे पत्ते
ये कैसे तोहफ़े लाए हो ये क्या बर्ग-फ़रोशी है

जमील मलिक




उस की ख़मोशियों में निहाँ कितना शोर था
मुझ से सिवा वो दर्द का ख़ूगर लगा मुझे

जमील मलिक




ये क्या ज़रूर है मैं कहूँ और तू सुने
जो मेरा हाल है वो तुझे भी पता तो है

जमील मलिक




ये मंज़र ये रूप अनोखे सब शहकार हमारे हैं
हम ने अपने ख़ून-ए-जिगर से क्या क्या नक़्श उभारे हैं

जमील मलिक




यूँ दिल में आज नूर की बारिश हुई 'जमील'
जैसे कोई चराग़ जला दे बुझा हुआ

जमील मलिक