EN اردو
हफ़ीज़ जौनपुरी शायरी | शाही शायरी

हफ़ीज़ जौनपुरी शेर

39 शेर

बुरा ही क्या है बरतना पुरानी रस्मों का
कभी शराब का पीना भी क्या हलाल न था

हफ़ीज़ जौनपुरी




गया जो हाथ से वो वक़्त फिर नहीं आता
कहाँ उमीद कि फिर दिन फिरें हमारे अब

हफ़ीज़ जौनपुरी




हाल मेरा भी जा-ए-इबरत है
अब सिफ़ारिश रक़ीब करते हैं

हफ़ीज़ जौनपुरी




आदमी का आदमी हर हाल में हमदर्द हो
इक तवज्जोह चाहिए इंसाँ को इंसाँ की तरफ़

हफ़ीज़ जौनपुरी




हसीनों से फ़क़त साहिब-सलामत दूर की अच्छी
न उन की दोस्ती अच्छी न उन की दुश्मनी अच्छी

हफ़ीज़ जौनपुरी




इस को समझो न ख़त्त-ए-नफ़्स 'हफ़ीज़'
और ही कुछ है शाएरी से ग़रज़

हफ़ीज़ जौनपुरी




जब मिला कोई हसीं जान पर आफ़त आई
सौ जगह अहद-ए-जवानी में तबीअत आई

हफ़ीज़ जौनपुरी




जब न था ज़ब्त तो क्यूँ आए अयादत के लिए
तुम ने काहे को मिरा हाल-ए-परेशाँ देखा

हफ़ीज़ जौनपुरी




जो दीवानों ने पैमाइश की है मैदान-ए-क़यामत की
फ़क़त दो गज़ ज़मीं ठहरी वो मेरे दश्त-ए-वहशत की

हफ़ीज़ जौनपुरी