जो काबे से निकले जगह दैर में की
मिले इन बुतों को मकाँ कैसे कैसे
हफ़ीज़ जौनपुरी
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काबा के ढाने वाले वो और लोग होंगे
हम कुफ़्र जानते हैं दिल तोड़ना किसी का
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काफ़िर-ए-इश्क़ को क्या दैर-ओ-हरम से मतलब
जिस तरफ़ तू है उधर ही हमें सज्दा करना
हफ़ीज़ जौनपुरी
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