मैं मुद्दतों जिया हूँ किसी दोस्त के बग़ैर
अब तुम भी साथ छोड़ने को कह रहे हो ख़ैर
फ़िराक़ गोरखपुरी
मैं हूँ दिल है तन्हाई है
तुम भी होते अच्छा होता
my loneliness my heart and me
would be nice
फ़िराक़ गोरखपुरी
मैं देर तक तुझे ख़ुद ही न रोकता लेकिन
तू जिस अदा से उठा है उसी का रोना है
फ़िराक़ गोरखपुरी
माइल-ए-बेदाद वो कब था 'फ़िराक़'
तू ने उस को ग़ौर से देखा नहीं
फ़िराक़ गोरखपुरी
लहू वतन के शहीदों का रंग लाया है
उछल रहा है ज़माने में नाम-ए-आज़ादी
फ़िराक़ गोरखपुरी
लाई न ऐसों-वैसों को ख़ातिर में आज तक
ऊँची है किस क़दर तिरी नीची निगाह भी
फ़िराक़ गोरखपुरी
क्या जानिए मौत पहले क्या थी
अब मेरी हयात हो गई है
फ़िराक़ गोरखपुरी
कुछ क़फ़स की तीलियों से छन रहा है नूर सा
कुछ फ़ज़ा कुछ हसरत-ए-परवाज़ की बातें करो
फ़िराक़ गोरखपुरी
कुछ न पूछो 'फ़िराक़' अहद-ए-शबाब
रात है नींद है कहानी है
फ़िराक़ गोरखपुरी