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अरशद अली ख़ान क़लक़ शायरी | शाही शायरी

अरशद अली ख़ान क़लक़ शेर

74 शेर

गुलगश्त-ए-बाग़ को जो गया वो गुल-ए-फ़रंग
ग़ुंचे सलाम करते थे टोपी उतार के

अरशद अली ख़ान क़लक़




घाट पर तलवार के नहलाईयो मय्यत मिरी
कुश्ता-ए-अबरू हूँ मैं क्या ग़ुस्ल-ख़ाना चाहिए

अरशद अली ख़ान क़लक़