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अनीस अंसारी शायरी | शाही शायरी

अनीस अंसारी शेर

16 शेर

मैं ने आँखों में जला रखा है आज़ादी का तेल
मत अंधेरों से डरा रख कि मैं जो हूँ सो हूँ

अनीस अंसारी




नाम तेरा भी रहेगा न सितमगर बाक़ी
जब है फ़िरऔन न चंगेज़ का लश्कर बाक़ी

अनीस अंसारी




तिरी आँखों ने धोया है मुझे यूँ
मैं बिल्कुल साफ़-सुथरा हो गया हूँ

अनीस अंसारी




तिरी महफ़िल में सब बैठे हैं आ कर
हमारा बैठना दुश्वार क्यूँ है

अनीस अंसारी




तोतली उम्र में जो बच्चा ज़रा मुशफ़िक़ था
कुछ बड़ा हो के दहाने पे न पहुँचा आख़िर

अनीस अंसारी




तुम दर्द की लज़्ज़त क्या जानो कब तुम ने चखे हैं ज़हर-ए-सुबू
हम अपने वजूद के शाहिद हैं संगसार हुए शमशीर हुए

अनीस अंसारी




तुम को भी पहचान नहीं है शायद मेरी उलझन की
लेकिन हम मिलते रहते तो अच्छा ही रहता जानम

अनीस अंसारी