बुरे भले में फ़र्क़ है ये जानते हैं सब मगर
है कौन नेक कौन बद नज़र नज़र की बात है
अकबर हैदराबादी
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बे-साल-ओ-सिन ज़मानों में फैले हुए हैं हम
बे-रंग-ओ-नस्ल नाम में तू भी है मैं भी हूँ
अकबर हैदराबादी
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आँखों को देखने का सलीक़ा जब आ गया
कितने नक़ाब चेहरा-ए-असरार से उठे
अकबर हैदराबादी
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