तू जुगनू है फ़क़त रातों के दामन में बसेरा कर
मैं सूरज हूँ तू मुझ से आश्नाई कर नहीं सकता
अफ़ज़ल इलाहाबादी
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वो जिस की राह में मैं ने दिए जलाए थे
गया वो शख़्स मुझे छोड़ कर अँधेरे में
अफ़ज़ल इलाहाबादी
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वो जिस ने देखा नहीं इश्क़ का कभी मकतब
मैं उस के हाथ में दिल की किताब क्या देता
अफ़ज़ल इलाहाबादी
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यादों के नशेमन को जलाया तो नहीं है
हम ने तुझे इस दिल से भुलाया तो नहीं है
अफ़ज़ल इलाहाबादी
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यूँ इलाज-ए-दिल बीमार किया जाएगा
शर्बत-ए-दीद से सरशार किया जाएगा
अफ़ज़ल इलाहाबादी
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