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अफ़ज़ाल अहमद सय्यद शायरी | शाही शायरी

अफ़ज़ाल अहमद सय्यद शेर

10 शेर

अता उसी की है ये शहद ओ शोर की तौफ़ीक़
वही गलीम में ये नान-ए-बे-जवीं लाया

अफ़ज़ाल अहमद सय्यद




इस दिल को किसी दस्त-ए-अदा-संज में रखना
मुमकिन है ये मीज़ान-ए-कम-ओ-बेश जला दे

अफ़ज़ाल अहमद सय्यद




कमान-ए-ख़ाना-ए-अफ़्लाक के मुक़ाबिल भी
मैं उस से और वो फिर कज-कुलाह मुझ से हुआ

अफ़ज़ाल अहमद सय्यद




कमान-ए-शाख़ से गुल किस हदफ़ को जाते हैं
नशेब-ए-ख़ाक में जा कर मुझे ख़याल आया

अफ़ज़ाल अहमद सय्यद




किताब-ए-ख़ाक पढ़ी ज़लज़ले की रात उस ने
शगुफ़्त-ए-गुल के ज़माने में वो यक़ीं लाया

अफ़ज़ाल अहमद सय्यद




किताब-ए-उम्र से सब हर्फ़ उड़ गए मेरे
कि मुझ असीर को होना है हम-कलाम उस का

अफ़ज़ाल अहमद सय्यद




मैं चाहता हूँ मुझे मशअलों के साथ जला
कुशादा-तर है अगर ख़ेमा-ए-हवा तुझ पे

अफ़ज़ाल अहमद सय्यद




मैं दिल को उस की तग़ाफ़ुल-सरा से ले आया
और अपने ख़ाना-ए-वहशत में ज़ेर-ए-दाम रखा

अफ़ज़ाल अहमद सय्यद




उसे अजब था ग़ुरूर-ए-शगुफ़्त-ए-रुख़्सारी
बहार-ए-गुल को बहुत बे-हुनर कहा उस ने

अफ़ज़ाल अहमद सय्यद