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अदा जाफ़री शायरी | शाही शायरी

अदा जाफ़री शेर

41 शेर

बे-नवा हैं कि तुझे सौ-ओ-नवा भी दी है
जिस ने दिल तोड़ दिए उस की दुआ भी दी है

अदा जाफ़री




बोलते हैं दिलों के सन्नाटे
शोर सा ये जो चार-सू है अभी

अदा जाफ़री




बुझी हुई हैं निगाहें ग़ुबार है कि धुआँ
वो रास्ता है कि अपना भी नक़्श-ए-पा न मिले

अदा जाफ़री




दिल के वीराने में घूमे तो भटक जाओगे
रौनक़-ए-कूचा-ओ-बाज़ार से आगे न बढ़ो

अदा जाफ़री




आ देख कि मेरे आँसुओं में
ये किस का जमाल आ गया है

अदा जाफ़री




गुल पर क्या कुछ बीत गई है
अलबेला झोंका क्या जाने

अदा जाफ़री




हाथ काँटों से कर लिए ज़ख़्मी
फूल बालों में इक सजाने को

अदा जाफ़री




हमारे शहर के लोगों का अब अहवाल इतना है
कभी अख़बार पढ़ लेना कभी अख़बार हो जाना

अदा जाफ़री




हज़ार कोस निगाहों से दिल की मंज़िल तक
कोई क़रीब से देखे तो हम को पहचाने

अदा जाफ़री