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Khush-bayaani शायरी | शाही शायरी

Khush-bayaani

2 शेर

मेरी ये आरज़ू है वक़्त-ए-मर्ग
उस की आवाज़ कान में आवे

ग़मगीन देहलवी




उस ग़ैरत-ए-नाहीद की हर तान है दीपक
शोला सा लपक जाए है आवाज़ तो देखो

मोमिन ख़ाँ मोमिन