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तेवर शायरी | शाही शायरी

तेवर

2 शेर

इस क़दर आप के बदले हुए तेवर हैं कि मैं
अपनी ही चीज़ उठाते हुए डर जाता हूँ

अहमद कमाल परवाज़ी




हम ने देखा है ज़माने का बदलना लेकिन
उन के बदले हुए तेवर नहीं देखे जाते

अली अहमद जलीली