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जलवा शायरी | शाही शायरी

जलवा

1 शेर

इश्क़ का ज़ौक़-ए-नज़ारा मुफ़्त में बदनाम है
हुस्न ख़ुद बे-ताब है जल्वा दिखाने के लिए

love is needlessly defamed that for vision it is keen
beauty is impatient too for its splendour to be seen

असरार-उल-हक़ मजाज़