सौ बार तिरा दामन हाथों में मिरे आया
जब आँख खुली देखा अपना ही गरेबाँ था
असग़र गोंडवी
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हमेशा मैं ने गरेबाँ को चाक चाक किया
तमाम उम्र रफ़ूगर रहे रफ़ू करते
Tween kaabaa and the loved one's face is deep affinity
Corpses, toward's mecca for a cause are faced to be
हैदर अली आतिश
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ऐसा करूँगा अब के गरेबाँ को तार तार
जो फिर किसी तरह से किसी से रफ़ू न हो
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
जब तक कि गरेबान में यक तार रहेगा
तब तक मिरी गर्दन के उपर बार रहेगा
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
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क्या बड़ा ऐब है इस जामा-ए-उर्यानी में
चाक करने को कभी इस में गरेबाँ न हुआ
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम