कुशादा दस्त-ए-करम जब वो बे-नियाज़ करे
नियाज़-मंद न क्यूँ आजिज़ी पे नाज़ करे
अल्लामा इक़बाल
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मिन्नत-ओ-आजिज़ी ओ ज़ारी-ओ-आह
तेरे आगे हज़ार कर देखा
मीर मोहम्मदी बेदार
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