'अरीब' देखो न इतराओ चंद शेरों पर
ग़ज़ल वो फ़न है कि 'ग़ालिब' को तुम सलाम करो
सुलैमान अरीब
एक हम्माम में तब्दील हुई है दुनिया
सब ही नंगे हैं किसे देख के शरमाऊँ मैं
सुलैमान अरीब
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एक हम्माम में तब्दील हुई है दुनिया
सब हुए नंगे किसे देख के शरमाऊँ मैं
सुलैमान अरीब
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