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सुहैल अख़्तर शायरी | शाही शायरी

सुहैल अख़्तर शेर

2 शेर

पहाड़ जैसे दिनों को तो काट लूँ लेकिन
निकल न पाऊँ मैं इक रात की गिरानी से

सुहैल अख़्तर




ज़िंदगी जिस ने तल्ख़ की मेरी
वो मुझे ज़िंदगी से प्यारा है

सुहैल अख़्तर