बुतों में कोई भलाई भी है सिवाए सितम
बुरा हो तेरा दिल-ए-ना-सज़ा किधर आया
शोला अलीगढ़ी
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ईद को भी वो नहीं मिलते हैं मुझ से न मिलें
इक बरस दिन की मुलाक़ात है ये भी न सही
शोला अलीगढ़ी