किसी को मार के ख़ुश हो रहे हैं दहशत-गर्द
कहीं पे शाम-ए-ग़रीबाँ कहीं दिवाली है
शारिब मौरान्वी
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
| 2 लाइन शायरी |
पेड़ के नीचे ज़रा सी छाँव जो उस को मिली
सो गया मज़दूर तन पर बोरिया ओढ़े हुए
शारिब मौरान्वी
टैग:
| मजदूर |
| 2 लाइन शायरी |
सरों पे ओढ़ के मज़दूर धूप की चादर
ख़ुद अपने सर पे उसे साएबाँ समझने लगे
शारिब मौरान्वी
टैग:
| मजदूर |
| 2 लाइन शायरी |