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शमीम रविश शायरी | शाही शायरी

शमीम रविश शेर

2 शेर

इक शख़्स तेरी बज़्म से ख़ामोश उठ गया
शायद ये बात तेरे लिए सोचने की थी

शमीम रविश




मुझे हर शाम इक सुनसान जंगल खींच लेता है
और इस के बाद फिर ख़ूनी बलाएँ रक़्स करती हैं

शमीम रविश