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सरफ़राज़ ज़ाहिद शायरी | शाही शायरी

सरफ़राज़ ज़ाहिद शेर

3 शेर

इक अदावत से फ़राग़त नहीं मिलती वर्ना
कौन कहता है मोहब्बत नहीं कर सकते हम

सरफ़राज़ ज़ाहिद




साल गुज़र जाता है सारा
और कैलन्डर रह जाता है

सरफ़राज़ ज़ाहिद




सुना है कोई दीवाना यहाँ पर
रहा करता था वीराने से पहले

सरफ़राज़ ज़ाहिद