अपनी ख़ुशियाँ भूल जा सब का दर्द ख़रीद
'सैफ़ी' तब जा कर कहीं तेरी होगी ईद
सैफ़ी सरौंजी
हर महफ़िल में जा मगर इतनी कर ले जाँच
ख़ुद्दारी पर भूल कर आए कभी न आँच
सैफ़ी सरौंजी
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कैसा हर दम शोर है कैसी चीख़-पुकार
दो दिन की है ज़िंदगी हँस कर इसे गुज़ार
सैफ़ी सरौंजी
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मैं हूँ इक ज़र्रा मगर ऊँची मेरी ज़ात
मेरे आगे कुछ नहीं तारों की औक़ात
सैफ़ी सरौंजी
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तूफ़ान आए शहर में या कोई ज़लज़ला
मुझ को किसी भी बात का अब डर नहीं रहा
सैफ़ी सरौंजी
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