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सैफ़ ज़ुल्फ़ी शायरी | शाही शायरी

सैफ़ ज़ुल्फ़ी शेर

3 शेर

चिंगारियाँ न डाल मिरे दिल के घाव में
मैं ख़ुद ही जल रहा हूँ ग़मों के अलाव में

सैफ़ ज़ुल्फ़ी




एहसास में शदीद तलातुम के बावजूद
चुप हूँ मुझे सुकून मयस्सर हो जिस तरह

सैफ़ ज़ुल्फ़ी




काग़ज़ पे उगल रहा है नफ़रत
कम-ज़र्फ़ अदीब हो गया है

सैफ़ ज़ुल्फ़ी