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रासिख़ अज़ीमाबादी शायरी | शाही शायरी

रासिख़ अज़ीमाबादी शेर

3 शेर

बाज़ार जहाँ में कोई ख़्वाहाँ नहीं तेरा
ले जाएँ कहाँ अब तुझे ऐ जिंस-ए-वफ़ा हम

रासिख़ अज़ीमाबादी




जब तुझे ख़ुद आप से बेगानगी हो जाएगी
आश्ना तब तुझ से वो देर-आश्ना हो जाएगा

रासिख़ अज़ीमाबादी




शागिर्द हैं हम 'मीर' से उस्ताद के 'रासिख़'
उस्तादों का उस्ताद है उस्ताद हमारा

रासिख़ अज़ीमाबादी