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राणा गन्नौरी शायरी | शाही शायरी

राणा गन्नौरी शेर

16 शेर

आज बार-ए-गोश है मेरी सदा उस को मगर
मेरे शेरों को ज़माना देर तक दोहराएगा

राणा गन्नौरी




अब मुझे थोड़ी सी ग़फ़लत से भी डर लगता है
आँख लगती है कि दीवार से सर लगता है

राणा गन्नौरी




ऐ ख़ुदा मैं सुन रहा हूँ आहटें उस वक़्त की
जब तिरी दुनिया का हर बंदा ख़ुदा हो जाएगा

राणा गन्नौरी




हम ने दुनिया से सुलूक ऐसा किया है 'राना'
हम न होंगे तो बहुत याद करेगी दुनिया

राणा गन्नौरी




हमारा दिल तो ग़म में भी ख़ुशी महसूस करता है
वही मुश्किल में रहते हैं जो ग़म को ग़म समझते हैं

राणा गन्नौरी




हर इक की है पसंद अपनी हर इक का है मिज़ाज अपना
वफ़ा मुझ को पसंद आई पसंद आई जफ़ा उस को

राणा गन्नौरी




हर शख़्स यहाँ साहिब-ए-इदराक नहीं है
हर शख़्स को तुम साहिब-ए-इदराक न कहना

राणा गन्नौरी




ख़ुद तराशना पत्थर और ख़ुदा बना लेना
आदमी को आता है क्या से क्या बना लेना

राणा गन्नौरी




ख़ुशी हम से किनारा कर रही है
हमें ग़म को भी अपनाना पड़ेगा

राणा गन्नौरी