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क़ैस रामपुरी शायरी | शाही शायरी

क़ैस रामपुरी शेर

1 शेर

लुट गए एक ही अंगड़ाई में ऐसा भी हुआ
उम्र-भर फिरते रहे बन के जो होशियार बहुत

क़ैस रामपुरी