अपनी आँखें नहीं जलाऊंगी
मैं ने बुझते चराग़ देखे हैं
नील अहमद
अपनी आँखों को नोच डाला है
तुम को पाने के ख़्वाब बुनती हैं
नील अहमद
और फिर मोहब्बत में जी के मर के देखा है
लोग सोचते हैं जो हम ने कर के देखा है
नील अहमद
दिल की उदासियों का कोई सबब नहीं है
बस ये सबब है मेरे दिल की उदासियों का
नील अहमद
हवा का रंग नहीं है मगर मिज़ाज तो है
हवा से दोस्ती करना कोई मज़ाक़ नहीं
नील अहमद
जब जब तुम को याद करें हम
तब तब बारिश हो जाती है
नील अहमद
ख़ुद-फ़रेबी रहे तो अच्छा है
ख़ुद-शनासी तबाह कर देगी
नील अहमद
किसी को याद करने के नहीं मख़्सूस कुछ लम्हे
कोई जब याद आ जाए तो फिर वो याद आता है
नील अहमद
कितने आलम गुज़र गए मुझ पर
तुम को सोचा था एक लम्हे को
नील अहमद