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नाज़िर वहीद शायरी | शाही शायरी

नाज़िर वहीद शेर

2 शेर

मुझ से ज़ियादा कौन तमाशा देख सकेगा
गाँधी-जी के तीनों बंदर मेरे अंदर

नाज़िर वहीद




रंग दरकार थे हम को तिरी ख़ामोशी के
एक आवाज़ की तस्वीर बनानी थी हमें

नाज़िर वहीद