दिल का शजर तो और भी पलने की आड़ में
मुरझा गया है फूलने-फलने के नाम पर
नदीम अहमद
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
इश्क़ में ख़ैर था जुनूँ लाज़िम
अब कोई दूसरा हुनर भी करूँ
नदीम अहमद
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
कभी तो लगता है ये उज़्र-ए-लंग है वर्ना
मुझे तो कुफ़्र ने इस्लाम पर लगाया हुआ है
नदीम अहमद
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
कभी तो यूँ कि मकाँ के मकीं नहीं होते
कभी कभी तो मकीं का मकाँ नहीं होता
नदीम अहमद
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
कुछ दिनों दश्त भी आबाद हुआ चाहता है
कुछ दिनों के लिए अब शहर को वीरानी दे
नदीम अहमद
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
मालूम नहीं नींद किसे कहते हैं लेकिन
करता तो हूँ इक काम मैं सोने की तरह का
नदीम अहमद
टैग:
| 2 लाइन शायरी |