किसी के साथ गुज़ारा हुआ वो इक लम्हा
अगर मैं सोचने बैठूँ तो ज़िंदगी कम है
that single moment I had spent in someone's company
were I to sit and ponder it a lifetime's short for me
मुईन शादाब
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तेरी निगाह तो इस दौर की ज़कात हुई
जो मुस्तहिक़ है उसी तक नहीं पहुँचती है
मुईन शादाब
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उस से मिलने की ख़ुशी ब'अद में दुख देती है
जश्न के ब'अद का सन्नाटा बहुत खलता है
मुईन शादाब