अब तो बातें भी हो गईं मौक़ूफ़
अरिनी है न लन-तरानी है
मीर अली औसत रशक
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हद से गुज़रा जब इंतिज़ार तिरा
मौत का हम ने इंतिज़ार किया
मीर अली औसत रशक
सुना रहा हूँ नकीरैन को फ़साना-ए-हिज्र
सवाल उन के जुदा हैं मिरे जवाब जुदा
मीर अली औसत रशक
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