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मक़बूल आमिर शायरी | शाही शायरी

मक़बूल आमिर शेर

4 शेर

मैं ऐसी राह पे निकला कि मेरी ख़ुश-बख़्ती
तमाम उम्र मिरी खोज में भटकती रही

मक़बूल आमिर




मेरी तारीफ़ करे या मुझे बद-नाम करे
जिस ने जो बात भी करनी है सर-ए-आम करे

मक़बूल आमिर




मुझे ख़ुद अपनी नहीं उस की फ़िक्र लाहक़ है
बिछड़ने वाला भी मुझ सा ही बे-सहारा था

मक़बूल आमिर




सफ़र पे निकलें मगर सम्त की ख़बर तो मिले
कोई किरन कोई जुगनू दिखाई दे तो चलें

मक़बूल आमिर