EN اردو
मंसूरा अहमद शायरी | शाही शायरी

मंसूरा अहमद शेर

2 शेर

अजीब वजह-ए-मुलाक़ात थी मिरी उस से
कि वो भी मेरी तरह शहर में अकेला था

मंसूरा अहमद




मैं उस को खो के भी उस को पुकारती ही रही
कि सारा रब्त तो आवाज़ के सफ़र का था

मंसूरा अहमद