जल गए फिर से कुछ हसीं रिश्ते
तंज़िया गुफ़्तुगू की भट्टी में
मालिकज़ादा जावेद
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कम-उम्री में सुनते हैं
मर जाते हैं अच्छे लोग
मालिकज़ादा जावेद
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मियाँ उस शख़्स से होशियार रहना
सभी से झुक के जो मिलता बहुत है
मालिकज़ादा जावेद
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ज़िंदगी एक कहानी के सिवा कुछ भी नहीं
लोग किरदार निभाते हुए मर जाते हैं
मालिकज़ादा जावेद
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